हमारा शहर चाईबासा (झारखण्ड) बहुत ही छोटा सा है पर आज इसकी एक अलग पहचान है। यह kolhan pramandal ban gaya hai. chhote से इस शहर मे कुछ वर्ष पहले मीडिया का नामोनिशान तक नही था। झारखण्ड अलग होने के बाद कई प्रिंट मीडिया के ऑफिस यहाँ खुले और शहर के लिए अलग संस्करण सभी अखबारवाले निकालने लगे. सुरुवाती दौर मे सभी काम सराहनीय रहा लेकिन आज सब कुछ बदल गया है. आज हर अख़बार को न्यूज़ कम और विज्ञापन ज़्यादा चाहिय। इसके लिए अख़बार न्यूज़ से भी समझौता कर ले रहे है। ऐसा नही है कि पत्रकार अपने काम मे सक्षम नही हैं। अख़बार प्रबंधन आज की तारीख मे ऐसा ही चाहता है। यही आज-कल हमारे शहर मे हो रहा hai।
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